Vidhan Parishad Kya hai:- भारत के संविधान कि संरचना इतनी बेहतरीन है कि इसमें संघीय ढांचे का बहुत ही अच्छे तरीके से ख्याल रखा गया है। जब हम भारत देश की बात करते है तो, ये अनेक छोटे बड़े राज्यो से मिलकर बनता है।
हर राज्य का प्रशासनिक तरीका भी एक दूसरे से भिन्न है। चुकी हर राज्य कि अलग भौगोलिक स्थिति है, अलग मौसम, अलग लोग, अलग भाषा इत्यादि है।
ऊपर दिए गए इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कुछ राज्यो में विधानसभा के साथ Vidhan Parishad कि भी व्यवस्था संविधान द्वारा की गई है। जैसे विधानसभा सदस्यों को हिंदी में विधायक या अंग्रेजी में MLA (Member Of Legislative Assembly) कहा जाता है।
उसी तरह विधान परिषद के सदस्य को विधान पार्षद और अंग्रेजी में MLC (Member Of Legislative Council) कहा जाता है। तो आज हम जानेगे कि विधान परिषद क्या है? और राज्यो में कैसे काम करता है ?
Vidhan Parishad क्या है और इसका गठन कैसे होता है ?
जिस तरह देश में Rajyasabha उच्च सदन है और Loksabha निम्न सदन, उसी प्रकार राज्यो में Vidhan Parishad उच्च सदन और Vidhan Sabha को निम्न सदन कहा जाता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 169, 171(1) और 171(2) में Vidhan Parishad के गठन का प्रावधान है। संविधान का अनुच्छेद 171 किसी राज्य में विधानसभा के अलावा एक Vidhan Parishad के गठन का विकल्प भी प्रदान करता है।
संविधान में राज्यो के लिए Vidhan Parishad का विकल्प तो दिया गया है, लेकिन राज्यो के संदर्भ में दो सदनों का गठन संविधान कि आधार भूत विशेषता नहीं है। संविधान में कहा गया है कि परिषद के गठन का निर्णय राज्यो को स्वयं करना होगा।
हालाकि इसके लिए अनुच्छेद 169 के तहत प्रावधान किया गया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि राज्यो को इसके के गठन कि पूर्ण स्वतंत्रता है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 168 राज्य मे विधान मण्डल का प्रावधान करता है, वही अनुच्छेद 169 के तहत किसी भी राज्य मे Vidhan Parishad का गठन किया जा सकता है।
यदि राज्य कि विधानसभा ने इस आसय का संकल्प विधानसभा कि कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा उपस्थित और मत दने वाले सदस्यों कि संख्या के कम से कम दो तिहाई 2/3 बहुमत से पारित किया हो।
इसके बाद अनुच्छेद 171(2) के तहत लोकसभा और राज्यसभा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है। जिसे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए उनके पास भेजा जाता है, और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते हि Vidhan Parishad के गठन कि मंजूरी मिल जाती है, और इसके बाद संबंधित राज्य मे इसका गठन होता है।
Vidhan parishad कि व्यवस्था किन किन राज्यों मे है ?
वर्तमान मे देश के 6 राज्यों मे MLC व्यवस्था है और ये राज्य है :-
2. Bihar
3. Karnataka
4. Maharstra
5. Telangana
केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले जम्मू और कश्मीर मे भी Vidhan Parishad थी। जिससे तात्कालिक जम्मू और कश्मीर के संविधान के अनुच्छेद 50 द्वारा 36 सदस्यों कि व्यवस्था कि गई थी, लेकिन जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद ये भंग हो गई।
MLC का कार्यकाल कितने वर्षो का होता है? और इनकी संख्या कितनी होती है ?
Rajyasabha कि तरह हि Vidhan Parishad के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है। लेकिन प्रत्येक दो साल के बाद इसके एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल खतम हो जाता है। राज्यसभा कि तरह हि यह भी एक स्थाई सदन है जो कभी भंग नहीं होता है।
संविधान के अनुच्छेद 171 के अनुसार किसी भी राज्य के Vidhan Parishad के सदस्यों कि संख्या उस राज्य के विधानसभा मे स्थित सदस्यों कि कुल संख्या के एक तिहाई से ज्यादा नहीं हो सकती, और किसी भी दशा मे 40 से कम नहीं होगी।
MLC को कैसे निर्वाचित किया जाता है ?
राज्यसभा कि तरह हि Vidhan Parishad के सदस्य सीधे मतदाताओ द्वारा निर्वाचित नहीं होते है। इसके सदस्यों के निर्वाचन के संबंध मे संविधान के अनुच्छेद 171 मे प्रावधान किया गया है।
इसके मुताबिक विधान परिषद के कुल सदस्यों के लगभग एक तिहाई सदस्य नगरपालिकाओ, जिला बोर्डों और अन्य स्थानीय संस्थाओ द्वारा निर्वाचित होते है।
वही कुल संख्या का 1/12 भाग ऐसे व्यक्तियों द्वारा भरा जाता है जिन्हे स्नातक हुए तीन वर्ष बीत चुके हो, या संसद द्वारा निश्चित स्नातक के समकक्ष कोई योग्यता हो। इसके साथ हि इसके सदस्यों कि कुल संख्या के 1/12 सदस्य ऐसे व्यक्तियों मे से चुने जाते है जो कम से कम तीन वर्ष तक उच्च माध्यमिक या उच्च विद्यालयो मे अध्यापन कार्य कर रहे हो।
वही Vidhan Parishad कि कुल संख्या का 1/3 (एक तिहाई ) भाग विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित होते है।
इसके अलावा बाकी यानि कुल सदस्यों कि संख्या का 1/6 भाग राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाता है। राज्यपाल साहित्य विज्ञान, कला, सहकारी आंदोलन या समाज सेवा मे विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले व्यक्ति को मनोनीत करते है।
सभी सदस्यों का निर्वाचन अनुपातीत प्रतिनिधितव प्रणाली के आधार पर एकल संक्रमनीय द्वारा गुप्त रीति से किया जाता है।
MLC बनने के लिए क्या योगिता होनी चाहिए ?
MLC बनने के लिए किसी भी व्यक्ति का भारत का नागरिक होना जरूरी है, उसकी आयु कम से कम 30 साल होनी चाहिए। मानसिक रूप से अस्वस्थ और दिवालिया नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा उस क्षेत्र जहा से वह चुनाव लड़ रहा है वहा का मतदाता भी होना चाहिए। यानि वहा कि मतदाता सूची मे नाम होना जरूरी है, और उस समय वह संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए।
Rajyasabha और Vidhan parishad मे क्या अंतर है ? और इसकी शक्तियां क्या है ?
विधायिका के दूसरे सदन यानि Vidhan Parishad को दो वजहों से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। एक, लोकप्रिय निर्वाचित सदन द्वारा जल्दबाजी मे कारवाई करने पर अंकुश लगाना।
दो, इसके साथ हि ये सुनिश्चित करना कि जो लोग प्रत्यकश्च तौर पर चुनाव के जरिए विधाई प्रक्रिया मे योगदान नहीं कर सकते उन्हे अप्रत्यकश्च तौर पर इस प्रक्रिया मे शामिल होना का मौका मिल सके।
तो आइए नीचे दिए हुए विभिन संवैधानिक शक्तियों को जाने :-
अगर विधानसभा और विधान परिषद कि शक्तियों कि तुलना करे तो साधारण विधेयक को दोनों सदनों मे पेश किया जा सकता है लेकिन असहमति के स्थिति मे विधानसभा प्रभावी होती है।
1. Vidhan Parishad किसी भी साधारण विधेयक को अधिकतम 4 माह तक हि रोक सकती है। मुख्य मंत्री और मंत्रीयो का चयन किसी भी सदन से किया जा सकता है। यदि इसके सदस्य को मुख्यमंत्री या मंत्री बनाया जाता है, तब भी वो विधानसभा के प्रति हि उतरदायी होगा।
2. वित्त विधेयक को केवल विधानसभा मे हि पेश किया जा सकता है, Vidhan Parishad नाही इसको अस्वीकृत कर सकती है या 14 दिन से अधिक इसे रोक सकती है। 14 दिन के बाद विधेयक को स्वतः हि पारीत मान लिया जाएगा।
3. भारत में राष्ट्रपति के निर्वाचन और राज्यसभा में राज्यों से जाने वाले प्रतिनिधियों के निर्वाचन में इसके सदस्य भाग नहीं ले सकते। साथ ही संविधान संशोधन विधेयक में परिषद प्रभावी रूप में कुछ नहीं कर सकती।
दरअसल Vidhan Parishad का अस्तित्व ही विधानसभा पर निर्भर है, विधानसभा के सिफारिश के बाद संसद परिषद को समाप्त कर सकती है। कई मामलों में परिषद की संरचना राज्यसभा जैसी है लेकिन इसकी विधाई शक्ति सीमित होती है।
4. राज्यसभा के पास गैर वित्तीय विधान को आकार देने की शक्ति है। लेकिन परिषद के पास ऐसा करने को संवैधानिक शक्तिओ का अभाव है।
राज्यसभा सदस्य राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाओ मे मतदान करते है। जबकि Vidhan Parishad सदस्य या MLC ऐसे किसी मतदान कि प्रक्रिया मे हिस्सा नहीं ले सकते है।
5. Vidhan Parishad का सभापति परिषद के हि किसी सदस्य को चुना जाता है। जबकि, राज्यसभा का सभापति उपराष्ट्रपति होता है, राज्यसभा मे राज्यों का प्रतिनिधितव होता है, जो संघवाद को बढ़ावा देता है।
6. राज्यसभा Vidhan Parishad कि तरह सिर्फ सलाहकारी इकाई भर नहीं है। इसके सदस्य अलग अलग तरीकों से निर्वाचित होते है, और इसमे नामित सदस्यों कि संख्या अधिक होती है।
7. इसका गठन हि इसे कमजोर बनाता है, वही दूसरी तरफ राज्यसभा का गठन का आधार संविधान है। राज्यसभा के सदस्य या सांसद प्रमुख तौर पर राज्यों मे विधानसभा सदस्यों से निर्वाचित होते है।
राज्यसभा मे केवल 12 सदस्य हि राष्ट्रपति द्वारा नामित होते है। Vidhan Parishad विधानसभा के अनुसार कार्य करती है, क्यू कि विधानसभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा किया जाता है।
8. Vidhan Parishad को भंग करने के लिए वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो इसके गठन मे अपनाई जाती है। यानि विधानसभा पूर्ण बहुमत से उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव संसद को भेजे और संसद उस पर अपनी मंजूरी प्रदान करदे।
संसद ने अपनी इसी शक्ति के प्रयोग से 1969 पंजाब और पश्चिम बंगाल, 1985 मे आंध्र प्रदेश और 1986 मे तमिलनाडु के Vidhan Parishad को समाप्त कर दिया था।
उम्मीद है दोस्तों Vidhan Parishad Kya hai और कैसे काम करता है इसके बारे हमने सारी जानकारी आपको देदी होगी। फिर भी कोई सवाल हो तो कमेन्ट करके जरूर बताए।
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