Surrogacy in Hindi : हर शादी सुदा जोड़े का सपना होता है की उनके यहाँ भी छोटे बच्चों की किलकारी गूँजे। किन्तु यह सौभाग्य सभी दंपतियों के नसीब मे नहीं होता है। उन्ही निराश दंपतियों के लिए सरोगेसी एक आशा की किरण बनकर आई है।
तो हम आज इसी सरोगेसी के हर पहलू को आसान भाषा मे समझने की कोशिश करेंगे। हम कुछ बेसिक सवालों के जवाब ढूंढगे जैसे की :- सरोगेसी क्या है, Surrogacy in Hindi, सरोगेसी के प्रकार, सरोगेसी में कितना खर्च आता है इत्यादि।
सरोगेसी क्या है | What is Surrogacy in Hindi
जनवरी 2022 मे आई उस खबर को सबने देखा होगा की कैसे बॉलीवुड अदाकारा और देशी गर्ल के नाम से मशहूर प्रियंका चोपड़ा सरोगेसी से माँ बनी थी। तो आइए दोस्तों इसी सरोगेसी को समझते है कि आखिर ये है क्या ?
जब कोई कपल अपना बच्चा पैदा करने के लिए किसी दूसरे औरत के कोख का सहारा लेता है तो उसे हम सरोगेसी कहते है। इसी को आम भाषा मे किराये का कोख भी कहते है। मतलब ये है की, सरोगेसी मे एक औरत अपने या डोनर के एग्स से किसी निशांतन दंपति के लिए गर्भवती होती है।
चुकी यह बच्चा वह दूसरे के लिए अपने कोख मे पालती है इसलिए उसे सरोगेट मदर भी कहा जाता है। इसमे सरोगेट मदर और दंपति के बीच एक खास अग्रीमेन्ट किया जाता है। इसके साथ ही सरोगेट माँ को गर्भावस्था मे अपना ध्यान और मेडिकल जरूरतों के लिए पैसे भी दिए जाते है।
सरोगेसी के प्रकार
सरोगेसी मोटे तौर पे दो तरह की होती है, जो निम्न प्रकार के है :-
पहला Traditional Surrogacy और दूसरा Gestational Surrogacy. आइए इन दोनों को विस्तार से समझते है।
1) Traditional Surrogacy
इस तरह के सरोगेसी मे होने वाले पिता या डोनर का स्पर्म् सरोगेसी अपनाने वाली महिला या सरोगेट मदर के एग्स से मैच कराया जाता है। इसके बाद स्पर्म्स को विशेषज्ञ डॉक्टर सरोगेट महिला के कर्विक्स, यूटेरस या फेलोपीयन ट्यूब मे सीधा प्रवेश कर देते है। इस प्रक्रिया को आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (IUI) कहते है, और यह करना आसान होता है IVF तकनीक के मुकाबले।
इस प्रक्रिया मे सरोगेट महिला ही बच्चे की बॉयोलॉजिकल माँ होती है। यहाँ गौर करने वाली बात ये है की, अगर होने वाले पिता के स्पर्म काउन्ट कम हो तो किसी दूसरे डोनर से भी स्पर्म लिया जा सकता है। इस केस मे दोनों ही दंपति का होने वाले बच्चे से कोई भी जेनेटिक रिस्ता नहीं होता है।
2) Gestational Surrogacy
इस तरह के सरोगेसी मे पिता के स्पर्म और माँ के एग्स को लैब के अंदर टेस्ट ट्यूब मे मेल कराया जाता है। उसके बाद उसे सरोगेट मदर के गर्भाशय मे ट्रांसप्लांट या प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। इस विधि से पैदा होने वाले बच्चे का जेनटिक संबंध माँ और बाप दोनों से होता है।
इस विधि के सरोगेसी की मेडिकल प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। क्यू की ऊपर बताया गया प्रोसेस बहुत ही कठिन होता है और इसमे विशेषज्ञ डॉक्टर की जरूरत होती है। जेस्टेशनल सरोगेसी मे IVF तकनीक के मदद से फर्टलाइज़ एग्स को महिला के यूटेरस मे इम्प्लैन्ट किया जाता है।
ऊपर बताए गए तरीके मे सरोगेट मदर को बहुत सारे मेडिकल जांच की जरूरत नहीं होती। क्यू की एग, होने वाली माँ के ही होते है। सरोगेट मदर तो बस उसे अपने कोख मे 9 महीने के लिए पालती है।
हमारे देश मे अधिकतर IVF केंद्रों पर जेस्टेशनल सरोगेसी अधिक प्रचलित है। इस विधि से होने वाली संतान के कस्टडी को लेकर विवाद की संभावना कम होती है।
जेस्टेशनल सरोगेसी को और दो प्रकार मे विभाजित किया गया है।
(i) कमर्शियल सरोगेसी : इस तरह के सरोगेसी मे सेरोगेट मदर को प्रेग्नन्सी के लिए भुगतान किया जाता है। किन्तु हम आपको बताते चले की इस समय भारत मे इस प्रकार के सेरोगेसी पर पूर्ण रूप से बैन लगा दिया गया है।
(ii) Altruistic Surrogacy (परोपकारी सरोगेसी) : Altruistic Surrogacy उसे कहते है जिसमे बनने वाला माता पिता सरोगेट मदर को अपने यहाँ रहने को आमंत्रित करते है। और ये दंपति सरोगेट मदर के तमाम खर्चे भी उठाता है।
भारत मे सेरोगेसी के कुछ महत्वपूर्ण नियम
भारत मे सरोगेसी को लेकर दिसम्बर 2021 मे संसद ने एक कानून पास किया था। इस कानून का नाम Assisted Reproductive Technologies (ART) Act and the Surrogacy Act है जो जनवरी सन् 2022 से प्रभाव मे आ गया है।
इस कानून के कुछ महत्वपूर्ण नियम निम्न है :-
- नये कानून के हिसाब से एक शादी सुदा जोड़े को तभी ‘पात्र’ माना जाएगा यदि उनकी शादी को पांच साल हो चुके हैं। इसके साथ ही पत्नी की उम्र 25-50 साल के बीच और पति की उम्र 26-55 साल के बीच होना जरूरी है।
- दंपति का कोई भी जीवित बच्चा (जैविक, दत्तक या सरोगेट) नहीं होना चाहिए। हालांकि मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग बच्चा होने पर उपरोक्त मानदंड से छूट दी गई है।
- अब एक सरोगेट माँ बनने के लिए उस औरत को जोड़े का करीबी रिश्तेदार होना, इस कानून मे अनिवार्य किया गया है।
- सरोगेट माँ का विवाहित और उसका अपना एक बच्चा भी होना जरूरी है। उसकी आयु 25-35 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जो अपने जीवन में केवल एक बार सरोगेट माँ रही हो।
- इस कानून के तहत अपराधों में शामिल हैं वाणिज्यिक सरोगेसी, भ्रूण की बिक्री, शोषण, सरोगेट बच्चे को छोड़ना आदि।
- ऊपर दिए गए अपराधों के लिए 10 साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
हमे उम्मीद है दोस्तों Surrogacy in Hindi या हिन्दी मे कहे तो सरोगेसी क्या है। इसके बारे हमने सारी जानकारी आपको दे दी होगी। फिर भी कोई सवाल हो तो कमेन्ट करके जरूर बताए।
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