आसमान मे बिजली कैसे बनती है : बारिश के मौसम मे हम सबने आसमान में बिजली चमकते हुए कभी न कभी जरूर देखा होगा। कुछ लोगों को ये दृश्य अच्छा लगता है, और कुछ लोग इससे काफी डर भी जाते है।
पृथ्वी की सतह पर हर एक सेकंड में लगभग 100 स्ट्राइक होते है। आज हम चर्चा करेंगे कि आखिर आसमान मे बिजली कैसे बनती है। इसके साथ ही हम ये भी समझेंगे कि जमीन पर बिजली क्यों गिरती है बिल्कुल ही आसान भाषा मे।
बिजली कैसे बनती है
जब जमीन गर्म होती है, तो यह जमीन के ऊपर की हवा को गर्म करती है। यह गर्म हवा धीरे धीरे ऊपर कि तरफ बढ़ती है। जैसे ही हवा जमीन के ऊपर उठ जाती है, हवा मे मौजूद जल वाष्प ठंडे हो जाते है और बादल बन जाते है।
जितनी ज्यादा हवा ऊपर उठती है, उतना ही बादल का आकार बढता जाता है। बादलों के ऊपर तापमान शून्य डिग्री से भी कम होता है। तापमान के इतना कम होने कि वजह से जल वाष्प छोटे-छोटे बर्फ के भाग में बदल जाते है।
बर्फ के छोटे-छोटे भाग जब हवा मे यहा वहा चलते है, तो एक दूसरे से टकराते हैं। इन सभी टकरावों के कारण आसमान मे बिजली (विद्युत आवेश) का निर्माण होता है। तभी एक साधारण बादल गरजने वाला बादल बन जाता है। और हम इसे आसमान मे बिजली कड़कना भी कहते है।
आसमान में बिजली क्यू चमकती है
जैसा कि हमने ऊपर देखा कि कैसे ये छोटे-छोटे बर्फ के भागों के आपस मे टकराने से विद्युत आवेश का निर्माण होता है। और आखिरकार, पूरा बादल विद्युत आवेशों से भर जाता है। हल्के +ve चार्ज वाले आवेशित कण बादल के ऊपर अपना स्थान बना लेते हैं। जबकि भारी, -ve चार्ज वाले आवेशित कण बादल के नीचे आ जाते हैं।
जब +ve और -ve चार्ज काफी बड़े हो जाते हैं, तो एक विशाल चमक के साथ जोरदार बिजली बादल के भीतर दोनों चार्जों के बीच कड़कती है। यह static electricity sparks जैसा है, जिसे हम सबने बचपन मे स्कूल के लैब मे कंघी या पेन को सर पर रगड़ने से उनसे कागज आकर्षित होते देखा था। लेकिन बादल के उद्धारण मे देखे तो यह बहुत बड़ा होता है।
लाइटनिंग (बिजली का कड़कना) कितने प्रकार कि होती है
आसमानी बिजली तीन प्रकार कि होती है।
1. क्लाउड लाइटनिंग
2. क्लाउड-टू-क्लाउड लाइटनिंग
3. क्लाउड-टू-ग्राउंड लाइटनिंग
क्लाउड लाइटनिंग
इस तरह कि लाइटनिंग मे बादल के अंदर ही +ve और -ve चार्ज आपस मे टकराते है। इस टकराव कि वजह से रोशनी चमकती है और हमे दिखाई भी देती है। इसमे हमे किसी भी तरह कि कड़कने वाली आवाज सुनाई नहीं देती है।
क्लाउड-टू-क्लाउड लाइटनिंग
इस तरह कि लाइटनिंग मे जो बड़े बादल ऊपर होते वो अपना चार्ज उनसे नीचे वाले छोटे बादल मे डिस्चार्ज कर देते है। इसे हम क्लाउड-टू-क्लाउड लाइटनिंग कहते है। इसमे बड़ी जोर से बिजली चमकती है, और बहुत ज्यादा रोशनी पैदा होती है। इस तरह के लाइटनिंग मे जोरदार आवाज भी होता है, जिसे हम जमीन पर सुनते है।
क्लाउड-टू-ग्राउंड लाइटनिंग
तीसरा और अंतिम प्रकार का लाइटनिंग हमारे लिए बहुत ही खतरनाक होता है। आखिर ये इतना खतरनाक क्यू होता है आइए समझते है। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि हल्के +ve चार्ज वाले आवेशित कण बादल के ऊपर और भारी -ve चार्ज वाले आवेशित कण बादल के नीचे होते है।
हम आपको बताते चले कि अधिकांश बिजली बादलों के अंदर ही कड़कती है, लेकिन कभी-कभी यह बादल और जमीन के बीच चमकती या गिरती है। नीचे वाली तस्वीर मे देख सकते है।
आसमान मे बिजली क्यों गिरती है
+ve चार्ज का निर्माण बादल के नीचे जमीन पर भी होता है, जो बादल के निचले हिस्से में -ve चार्ज के तरफ आकर्षित होता है। जमीन पर मौजूद वस्तुएं, जैसे कि स्टील, पेड़ और पृथ्वी, धनात्मक (+ve) रूप से आवेशित हो जाते हैं। जमीन से +ve चार्ज बादलों मे पहले से मौजूद -ve चार्ज को एक चिंगारी से जोड़ता है। और इसके साथ ही एक जोरदार कड़कने कि आवाज होती है और हमे एक चमकती हुई रोशनी दिखती है।
और ये बिजली 30,00,00,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से, ऊपर की ओर प्रवाहित होती है, और यही उत्तर है उस जिज्ञासा भरी प्रश्न “बिजली कैसे गिरती है” का।
ऊपर दिए गए उद्धारण से मशहूर अवधारणा भी असत्य साबित होती है कि बिजली जमीन पर गिरती है। दरअसल इसका उल्टा होता है, और बिजली जमीन से बादल मे जाती है।
बिजली किस पे गिरती है
जमीन का पॉजिटिव चार्ज किसी ढांचे के इर्द-गिर्द केंद्रित होता है जैसे कि पेड़, पहाड़, बिजली के उचे उचे Transmission टावर, उची इमराते, यहां तक कि इंसान या कहे तो आम लोग। आप ऊपर दिए गए उद्धारण से समझ गए होंगे कि जहा धनात्मक (+ve) चार्ज होगी बिजली वही गिरेगी। पृथ्वी पर मौजूद जितनी भी उची वस्तुये है उन पर बिजली गिरती है।
बिजली के कड़कने से इतनी आवाज क्यू होती है
जब बिजली कड़कती है तो वह बेहद गर्म होती है, जिसका तापमान लगभग 27,000 डिग्री Centigrade होता है। एक फ्लैश अपने चारों ओर मौजूद हवा को गर्म कर देता है। यह गर्मी आसपास की हवा को तेजी से फैलने और कंपन करने का कारण बनता है, जो बिजली की चमक को देखकर थोड़ी देर के लिए हमें जोरदार आवाज सुनाई देती है।
मोबाईल पर बिजली गिरना
क्या मोबाईल पर बात करने से बिजली गिरने कि अधिक संभावना है? और इसका जवाब है नहीं। यदि आप पर बिजली गिरनी होगी तो, आपके हाथ मे मोबाइल फोन हो या ना हो आप पर गिरेगी ही। सिर्फ मोबाईल के आपके हाथ में होने से जोखिम नहीं बढता हैं।
बिजली आमतौर पर कई मीटर चौड़ी होती है, इसलिए सिर्फ एक उपकरण पकड़ने से कोई समस्या वाली बात नहीं है। समस्या उन उपकरणों को रखने से है जो वायर्ड हैं या चार्ज किए जा रहे हैं, जैसे कि लैंड्लाइन फोन।
बिजली गिरने से क्या क्षति होती है
हर साल बिजली गिरने से दुनिया भर में लगभग 2,000 लोग मारे जाते हैं। इसके अलावा बिजली गिरने से कई लोग स्थायी बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं। जिनमें स्मृति हानि, चक्कर आना, कमजोरी, और अन्य बीमारियां शामिल हैं।
बिजली गिरने से दिल का दौरा (Heart अटैक) और बहुत गंभीर जलन हो सकती है। लेकिन राहत कि बात ये है कि आसमानी बिजली के चपेट में आने वाले हर 10 लोगों में से 9 लोग जीवित रहते हैं।
आसमानी बिजली से कैसे बचे
कई घरों मे एक बिजली पट्टी सबसे उच्ची जगह पर लगाई जाती है जिससे बिजली को जमीन मे हानिरहित रूप से भेज देते हैं। घरों में प्लंबिंग, गटर या अन्य सामग्रियों से भी बिजली को ग्राउंड किया जा सकता है। जमीनी इमारतें सुरक्षा प्रदान करती हैं, लेकिन जो लोग चलते पानी को छूते हैं या लैंडलाइन फोन का उपयोग करते हैं, उन्हें बिजली से झटका लग सकता है।
आसमानी बिजली गिरे तो क्या करे
(1) यदि आप खुले में हो तो शीघ्रातिशीघ्र किसी पक्के मकान में शरण लें।
(2) सफर के दौरान अपने वाहन में ही बने रहें ।
(3) समूह में न खड़े हो, बल्कि अलग-अलग खड़े रहें।
(4) यदि आप जंगल में हो तो बौने एवं घने पेड़ो के शरण में चले जायें।
(5) धातु से बने कृषि यंत्र-डंडा आदि से अपने को दूर कर दें।
(6) आसमानी बिजली के झटका से घायल होने पर पीड़ित व्यक्ति को तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र ले जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
(7) स्थानीय रेडियों अन्य संचार साधनों से मौसम की जानकारी प्राप्त करते रहें।
(8) यदि आप खेत खलिहान में काम कर रहे हों और किसी सुरक्षित स्थान की शरण न ले पायें हो तो :-
- जहां हैं वहीं रहे, हो सके तो पैरों के नीचे सूखी चीजें जैसे लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख लें।
- दोनों पैरों को आपस में सटा लें, दोनों हाथों की घुटनों पर रख कर अपने सिर को जमीन के तरफ यथा संभव झुका लें तथा सिर को जमीन से न सटने दें।
- जमीन पर कदापि न लेटें।
नीचे NDRF द्वारा दिए गए विडिओ मे बड़ी ही रोचक तरीके से आसमानी बिजली से बचने के तरीके बताए गए है, जरूर देखे
आसमानी बिजली गिरे तो क्या न करे
(1) खिड़कियाँ, दरवाजे, बरामदे के समीप तथा छत पर न जायें।
(2) तालाब और जलाशय के समीप न जायें।
(3) बिजली के उपकरण या तार के साथ संपर्क से बचें व बिजली के
(4) उपकरणों को बिजली के संपर्क से हटा दें।
(5) ऐसी वस्तुएँ, जो बिजली की सुचालक हैं, उनसे दूर रहें।
(6) बाहर रहने पर धातु से बनी वस्तुओं का उपयोग न करें। बाइक, बिजली या टेलीफोन का खंभा, तार की बाड़, मशीन आदि से दूर रहें।
(7) उँचे इमारत (मकान) वाले क्षेत्रों में शरण नहीं लें।
(8) साथ ही बिजली एवं टेलीफोन के खंभो के नीचे कदापि शरण नहीं ले, क्योंकि उँचे वृक्ष, उँची इमारतें एवं टेलीफोन/बिजली के खंभें आसमानी बिजली को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
(9) पैदल जा रहें हों तो धातु की डंडी वाले छातों का उपयोग न करें।
(10) यदि घर में हों तो पानी का नल, फ्रिज, टेलीफोन आदि को न छूएँ।
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ऊपर दिए गए जानकारी से उमीद है कि आप लोग समझ गए होंगे कि आसमान मे बिजली कैसे बनती है। और दी गई जानकारी कैसी लगी, कोई सुझाव या सवाल हो तो कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बताए।
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